ORGANIC GINGER CULTUVATION
23./24.04.19 TRAINING ABOUT ORGANIC GINGER CULTUVATION
Gram Disha SHG supported by Gram Disha Trust conducted a field training and demonstration at its location on Organic Ginger cultivation. A field school with master ginger grower and trainer Sh. Chandra Mohan Sharma was conducted over 23rd and 24th April 2019 and field plot was also sown for followup by the group. A report on the study is found below.
जैविक खेती के प्रयोग - अदरक की बिजाई
- चेत राम गौतम, सचिव
परिचय
दिनाँक 24 अप्रैल 2019 को नौरीधार से वरिष्ठ किसान श्री. चन्द्र मोहन शर्मा अदरक की खेती की ट्रेनिंग देने, अपने कुछ साथी किसानों सहित, ग्राम दिशा जैविक समूह (बाग़) में आये | वह अपने साथ अदरक के 30kg बीज भी लाये थे | साथ ही उन्होंने समूह के सदस्यों को खेत में अदरक की बोवाई भी करवाई | इस ट्रेनिंग में मिली जानकारी की रिपोर्ट और विवरण इस प्रकार है |
ट्रेनिग देने के लिए ग्राम दिशा जैविक समूह चन्द्र देव जी और नौरीधार से आये उनके किसान मित्रों का तहे दिल से धन्यवाद करता है |
मिट्टी व् खेत की तैयारी
अदरक की खेती विभिन्न प्रकार की मृदाओं में हो सकती है लेकिन सबसे उपयुक्त उचित जल निकासी वाली दोमट या रेतीली मिटटी होती है | कम क्षार वाली खुली भूमि हो और अदरक सह-फसल के रूप में भी लगायी जा सकती है | अदरक परछाई वाली जगह पर भी लगाया जा सकता है | अप्रैल-मई के महीने में मिटटी को 1 हल से पलटने के उपरान्त 3-4 जुताई कर मोई चला कर भूमि को समतल कर देना चाहिए | अदरक की बोआई के लिए बेड ऊँचा होना चाहिए ताकि पानी का रिसाव रहे – लगभग 10″ |
अदरक की बिजाई के लिए गांठों का चुनाव और उपचार
बीज रोगमुक्त, अच्छी गुणवत्ता के होने चाहिए | 4-5 सेंटीमीटर और 20-30 ग्राम वजन के होने चाहिए | साथ ही प्रत्येक टुकड़े में 2 आँखें होनी चाहिए | बीजों का उपचार बिजाई से 30 मिनट पहले बीजामृत उपचार या फिर Pseudomonas @ 20g/litre का प्रयोग कर और छाओं में सुखा लेने चाहिए | इसके अलावा यदि biodynamic खेती कर रहे हों तो 100 ग्राम/litre CPP में 15 मिनट भिगो कर छाओं में सुखा लें | पंचगव्य का प्रयोग भी किया जा सकता है | यदि एक दिन पहले उपचार करना हो तो बीजों को तरल रूप से भिगो कर उपचार करने के बाद 8 घंटे तक सुखा कर बिजाई लाभदायक रहती है |
बोवाई में दूरी का ध्यान
अदरक की बोवाई क्षेत्र के अनुसार मौसम देख कर की जाती है | मई-जून तक जहाँ सिंचाई की सुविधा हो या वर्षा आधारित फसल उगानी हो पहली बारिश के बाद ही बोवाई करनी चाहिए | बीज प्रकंदों को हमेशा पंक्तियों में बोना चाहिए, इनकी दूरी 12-15 cm और पौधे की दूरी भी 12-15 cm तक होनी चाहिए | बीज 4 cm की गहराई से अधिक नहीं होना चाहिए | बोने के बाद प्रकंदों को सही से मिटटी से ढक देना चाहिए |
जैविक खाद व् कम्पोस्ट और मल्चिंग (अच्छादन )
15 किलो देसी गायें के सड़े गोबर (Farm Yard Manure FYM) में श्रेष्ठ गुणवत्ता का जैविक खाद (ग्रीन हार्वेस्ट) 2 किलो, 100 ग्राम mychorhiza, 100 ग्राम (PSB, KSB, ZnSB) | यह खाद का मिश्रण, मल्चिंग की एक परत डाली जाती है, मल्चिंग अदरक के ही पत्तों का हो तो सही है | इसी अनुसार बोआई के 60 और 120 दिनों के बाद फिर से लगभग 1 बीघे में 1 tonne की दर से FYM या फिर अच्छा मिश्रण हो तो 100-250 किलो तक (जितना संभव खाद हो ) डाल सकते हैं | इस के अतिरिक्त जीवामृत/पंचगव्य का भी प्रयोग किया जा सकता है | 5 लीटर/100 लीटर पानी, प्रति बीघे के हिसाब से सिंचायी की जा सकती है |
अच्छी मल्चिंग का एक नमूना – कलसन नर्सरी फार्म के सौजन्य से
अदरक की स्वस्थ खेत – नौरीधार किसान ग्रुप के सौजन्य से
निड़ायी व् सिंचाई
सामान्य रूप से खेत की निड़ायी होती रहनी चाहिए और फसल की अवधि में कम से कम 3 बार तक होनी चाहिए | निड़ायी से निकले पौधों को भी मल्चिंग के लिए रख देना चाहिए लेकिन मल्चिंग में शैवाल के फूल या बीज नहीं होने चाहिए | अदरक की फसल में बराबर नमी होनी चाहिए | बोआई के कुछ दिन बाद सिंचाई करनी चाहिए और यदि बारिश ना हो तो 15 दिन में एक बार सिंचाई होनी चाहिए | मल्चिंग हमेशा पर्याप्त होनी चाहिए ताकि मिटटी में नमी बनी रहे | अधिक गर्मी के मौसम में प्रतिमाह 1 सप्ताह में सिंचाई होनी चाहिए |
फसल लेने से पहले का ध्यान
फसल की खुदाई इस बात पर निर्भर करती है कि किस उद्देश्य से उगाया जा रहा है | कच्चे अदरक के रूप में इससे 6 महीने में निकाल दिया जाता है | जबकि सौंठ के लिए 8 महीने में निकाला जा सकता है | फसल पाक जाने पर पत्ते पीले पड़ कर सूख जाते हैं, तो सावधानी पूर्वक मिटटी खोद कर निकाली जा सकती है |अदरक की उपज उसकी उपजाऊ क्षमता और देखभाल पर ही निर्भर है |
अदरक की अच्छी फसल – नौरिधार किसान ग्रुप के सौजन्य से
अदरक को कीड़े और जड़ सडन से बचाने के उपाय
पहली बात तो यह की अदरक में कीड़ा लगता नहीं है, इसी लिए अदरक, प्याज़, हल्दी और लहसुन सह-फसलों के रूप में श्रेष्ठ हैं | यदि फिर भी कोई प्रकोप हो तो देसी गाय का मूत्र 10 दिन तक धूप में रख कर छिडकाव करने से फायदा हो सकता है, इसके अलावा खट्टी लस्सी का भी प्रयोग किया जा सकता है | जड़ सड़न का मुख्य कारण ज्यादा सिंचाई या खड़ा पानी है, इससे बचने के लिए सही रूप से बेड पर बिजाई करके पर्याप्त रूप से नमी होनी चाहिए और पानी कभी खेत खड़ा नहीं होना चाहिए | यदि सुरक्षात्मक रूप से डालना ही हो तो – Pseudomonas fluorescens P1 – बरसातों के 30 दिन पहले पौधे पर छिड़का जा सकता है, और खाद देते समय trichoderma भी डाला जा सकता है |